मंगलवार, 8 दिसंबर 2020

Ocean tides, महासागरीय ज्वार, ज्वार भाटा, दीर्घ ज्वार लघु ज्वार, ज्वार भाटा की उत्पत्ति।

महासागरीय ज्वार:- OCEAN TIDES



महासागरीय गतियां लहरें तरंगे धाराएं एवं ज्वार भाटा अधिक महत्वपूर्ण होते हैं, इनमें ज्वार भाटा का महत्व सर्वाधिक होता है। सूर्य तथा चंद्रमा के आकर्षण शक्तियों के कारण सागरीय जल के ऊपर उठने तथा गिरने को ज्वार भाटा कहा जाता है तथा इससे उत्पन्न तरंगों को ज्वारीय तरंगे कहते हैं सागरीय जल केेेेेेे ऊपर उठकर आगे बढ़ने को ज्वार 
(Tide)  तथा सागरी जल के नीचे गिर कर पीछे लौटने को भाटा (ebb) कहते है। विभिन्न स्थानों पर ज्वार भाटा की ऊंचाई में पर्याप्त भिन्नता होती है यह भिन्नता सागर की जल की गहराई, सागरीय तट की रूपरेखा तथा सागर के खुले होने तथा बंद होने पर निर्भर करती है।

ज्वार भाटा की उत्पत्ति:-

महासागरीय जल में सूर्य तथा चंद्रमा की आकर्षण शक्ति के फल स्वरुप ज्वार की उत्पत्ति होती है यद्यपि सूर्य चंद्रमा से बहुत बड़ा है तब भी चंद्रमा की आकर्षण शक्ति का प्रभाव सूर्य से 2 गुना है इसका प्रमुख कारण सूर्य का चंद्रमा की तुलना में पृथ्वी से अधिक दूर होना है पृथ्वी पर 24 घंटे में से प्रत्येक स्थान पर दो बार ज्वार भाटा आता है जब सूर्य पृथ्वी तथा चंद्रमा एक सीधी रेखा में होते हैं तो उनकी सम्मिलित शक्ति के परिणाम स्वरुप दीर्घ ज्वार स्प्रिंग टाइड का अनुभव किया जाता है यह स्थिति सिजीगी ( syzygi)  कहलाती है ऐसी पूर्णिमा एवं अमावस्या को होता है, इसके विपरीत जब सूर्य पृथ्वी और चंद्रमा समकोण बनाते हैं तो चंद्रमा तथा सूर्य का आकर्षण बल एक दूसरे के विपरीत कार्य करता है जिसके कारण निम्न ज्वार का अनुभव किया जाता है यह स्थिति कृष्ण पक्ष तथा शुक्ल पक्ष की सप्तमी और अष्टमी को देखी जा सकती है दीर्घ ज्वार सामान्य से 20% ऊंचा तथा निम्न ज्वार सामान्य ज्वार से 20% नीचे होता है।


पृथ्वी पर चंद्रमा के सम्मुख स्थित भाग पर चंद्रमा की आकर्षण शक्ति के कारण ज्वार आता है किंतु इस समय पृथ्वी के चंद्र विमुख भाग पर भी ज्वार आता है इसका कारण पृथ्वी के घूर्णन रोटेशन को संतुलित करने के लिए अपकेंद्रीय बल अप्रभावशाली होना है सामान्यतः प्रत्येक स्थान पर 12 घंटे के बाद ज्वार आना चाहिए परंतु यह प्रतिदिन 26 मिनट की देरी से आता है जिसका प्रमुख कारण चंद्रमा का पृथ्वी के सापेक्ष गतिशील होना है।

विश्व में सबसे बड़ा ज्वार फंडी की खाड़ी यूएसए में आता है जिसके ऊंचाई 15 से 18 मीटर तक होती है भारत में सबसे ऊंचा ज्वार गुजरात के ओखा तट पर आता है जिसकी ऊंचाई 2.7 मीटर है इंग्लैंड के दक्षिणी तट पर स्थित साउथेंप्टन मैं प्रतिदिन चार बार ज्वार आते हैं जिसका प्रमुख कारण यहां है की दो बार ज्वार इंग्लिश चैनल से होकर तथा दो बार उत्तरी सागर से होकर विभिन्न दलालों पर वहां पहुंचते हैं।


 ज्वार भाटा जहां एक और नदियों द्वारा लाए गए अवसाद को बहाकर समुद्र में ले जाते हैं और बंदरगाहों को गाद मुक्त बनाते हैं तो वहीं दूसरी ओर ज्वारीय ऊर्जा के प्रमुख स्रोत है भारत में कम बात की खाड़ी तथा कच्छ की खाड़ी में इन की प्रबल संभावना है।

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