भारतीय कर व्यवस्था -
आधुनिक अर्थशास्त्र में कर आय को वितरित करने का तरीका माना जाता है। यह सरकार द्वारा नागरिकों से लिया गया अनिवार्य अंशदान है, जिसे वह नागरिक को एवं देश के कल्याण के लिए खर्च करती है। भारत में कर केंद्र सरकार, राज्य सरकार, तथा स्थानीय सरकार द्वारा वसूल किए जाते हैं। अर्थव्यवस्था में कर लगाने की तीन विधियां प्रचलित है-
1. प्रगतिशील कर प्रणाली ( progressive tax system) - यदि आय की वृद्धि के साथ कर की दर में वृद्धि हो तो इसेे प्रगतिशील कर प्रणालीीी कहते हैं।
2. प्रतिगामी कर प्रणाली ( regressive tax system) - यदि आय की वृद्धि के साथ कर की दर घटती जाए , तो इसेे प्रतिगामी कर प्रणाली कहते हैं।
3. आनुपातिक कर प्रणाली( proportional tax system )- यदि कर की दर आय में परिवर्तन के साथ भी परिवर्तित ना हो तो इसे आनुपातिक कर प्रणाली कहते हैं।
कर के प्रकार :-
प्रत्यक्ष कर
प्रत्यक्ष कर वे होते हैं जिनको वही व्यक्ति देता है जिस पर यह लगाए जाते हैं, दूसरे शब्दों में प्रत्यक्ष कर का दबाव तथा भार अंतिम रूप से वही व्यक्ति पर पड़ता है, जिस पर वह सरकार द्वारा लगाया जाता है। करदाता को इस कर के भार को किसी अन्य व्यक्ति पर टाल नहीं सकता है कुछ महत्वपूर्ण प्रत्यक्ष कर निम्नलिखित है।
Income tax आयकर :-
भारत में आयकर सर्वप्रथम 24 जुलाई 1860 में लगाया गया । 24 जुलाई 2010 को 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में 24 जुलाई को आयकर दिवस मनाया जाता है। भारत में आयकर का नियमन इनकम टैक्स एक्ट 1961 द्वारा होता है सरकार जल्द ही इसके स्थान पर प्रत्यक्ष कर संहिता लागू करने का प्रयास कर रही है।
निगम कर Corporate tax
कंपनी की आय पर लगने वाले कर को निगम कर कहते हैं।
प्रत्यक्ष कर संहिता ( डायरेक्ट टैक्स कोड )
केलकर समिति की अनुशंसा पर सरकार ने प्रत्यक्ष कर के क्षेत्र में व्यापक सुधार का प्रस्ताव दिया है। इस प्रस्ताव में प्रत्यक्ष कर नियमों को परिवर्तित कर एक एकीकृत प्रत्यक्ष कर संहिता लाने का प्रावधान किया गया है नए प्रस्तावित कानून में प्रत्यक्ष कर ढाचे को सरल बनाने के प्रयास किया गया है ताकि जटिल आयकर कानून एवं निगम कर आदि प्रत्यक्ष करों को प्रतिस्थापित किया जा सके इसका उद्देश्य कम से कम दर पर आय कर वसूला और अधिक से अधिक लोगों आयकर के दायरे में लाना है।
अप्रत्यक्ष कर indirect tax :-
अप्रत्यक्ष कर वे कर है, जिन का दबाव एक व्यक्ति पर तथा उसका भार दूसरे व्यक्ति पर पड़ता है । दूसरे शब्दों में कर की जिम्मेदारी तो करदाता पर होती है, परंतु वह कर का भार पूर्ण रूप से या अथवा आंशिक रूप से दूसरे व्यक्तियों पर डाल देता है कुछ महत्वपूर्ण अप्रत्यक्ष कर
उत्पाद शुल्क excise duty :-
सरकार उत्पाद शुल्क उन वस्तुओं पर लगाती है, जो देश के भीतर उत्पादित होते हैं।
बिक्री कर sale tax :-
सरकार किसी वस्तु के विक्रय पर जो कर वसूलती है, उसे बिक्री कर कहते हैं भारत के ज्यादातर राज्यों में अब बिक्री कर की जगह वेट ने ले ली है।
सीमा शुल्क :-
सीमा शुल्क ऐसे शुल्क या कर है जो आयातित वस्तू तथा देश से निर्यातित वस्तु पर लगाया जाता है इस समय निर्यात शुल्क नहीं लगाया जाता है, इसीलिए आयात शुल्क ही सीमा शुल्क का पर्याय है।
सेवा कर service tax :-
चलैया समिति की संस्तुति पर सेवाकर को 1994 से 95 केंद्रीय बजट में शुरू किया गया यह जम्मू कश्मीर को छोड़कर सभी राज्यों में लागू है सेवा कर और अधिक विस्तृत करने के लिए सरकार द्वारा 1 जुलाई 2012 को निषेधात्मक सूची नेगेटिव लिस्ट जारी की गई इसका अर्थ यह है कि अब ऐसी सेवाओं की सूची जारी की जाएगी जिन पर सेवा कर नहीं लगता है नकारात्मक सूची को छोड़कर बाकी सभी सेवाएं कर के दायरे में आ जाएगी सेवा कर मूलतः संघ सूची में आता है भारतीय संविधान के 88 वें संविधान संशोधन के अनुसार सेवाओं पर भारत सरकार द्वारा लगाए जाएंगे तथा संसद द्वारा पारित कानून के अंतर्गत भारत सरकार तथा राज्य के मध्य बांटे जाएंगे
मूल्य वर्धित कर प्रणाली value added tax system (VAT) :-
वेट मूल्यवर्धन पर लगने वाला कर है इसमें उत्पादन व बिक्री के प्रत्येक चरण में होने वाले मूल्यवर्धन पर कर लगाया जाता है इसमें कर की गणना का आधार मूल्य वर्धन होता है ना कि आउटपुट उदाहरणार्थ एक धागा बनाने वाली इकाई ₹100 में कपास खरीदा और उसे धागे के रूप में तैयार करने की प्रक्रिया में कुछ सेवा व श्रम लागत लगाकर लाभ के साथ ₹200 में कपड़ा कंपनी को भेजता है स्पष्ट है की धागा बनाने वाली इकाई ने कपास में ₹100 का मूल्य वर्धन किया अतः इस मूल्यवर्धन पर कर लगाया जाएगा इस प्रकार प्रत्येक स्तर पर वस्तु में होने वाले मूल्यवर्धन पर कर लगाया जाएगा वेट ने केंद्र के स्तर पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क को प्रतिस्थापित किया और राज्य के स्तर पर बिक्री के प्रत्येक स्तर पर पंजीकृत व्यापारी को वस्तु का मूल्य वर्धन पर वेट देना पड़ता है
वेट का प्रथम प्रतिपादन 1918 में एफ वान सीमेंस ने किया परंतु इसे 1954 में सर्वप्रथम सफलतापूर्वक फ्रांस में लागू किया गया, धीरे-धीरे यह अन्य यूरोपियन तथा एशियाई देशों में लागू हुआ। भारत में वेट 1 अप्रैल 2005 से लागू किया गया वर्तमान में वेट सभी राज्य में लागू है ,वेट लागू करने वाला प्रथम राज्य हरियाणा तथा अंतिम राज्य उत्तर प्रदेश रहा लक्ष्यदीप तथा अंडमान निकोबार दीप समूह से संघ शासित प्रदेश है जहां बिक्री कर नहीं है इसीलिए यहां पर लागू नहीं है।
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